Thursday, January 31, 2013

Suncity Jodhpur

                                                             सूर्यनगरी जोधपुर  
  
  राजस्थान का दूसरा बड़ा शहर और   मारवाड़   का सबसे बड़ा शहर हे जोधपुर |यह राजस्थान प्रान्त के पश्चिम की और बसा हुआ है। ।इस इलाके को मारवाड़ कहा जाता हे । । इस शहर को सूर्यनगरी के  नाम  से भी जाना जाता हे।साल में अधिकतम  दिनों तक यहाँ पर सूर्य  देवता के दर्शन  होते हे । आज से 550  साल पहले राव जोधाजी द्वारा यह शहर बसाया गया था और उनके नाम के कारण ही शहर का नाम जोधपुर है  |पहले किले का निर्माण हुआ जो की मेहरानगढ़ फोर्ट के नाम से प्रसिद्द हे ।  किले के   चा रों और शहर बसाया गया ।किंवदंती हे की जिस पहाड़ी पर किला बनवाया गया था  वंहा पर एक महात्मा तपस्या करते थे |उनका नाम चिडियानाथ जी था |राजा के कर्मचारियों ने उनका अनादर किया |एव क्रोधित हो कर महात्मा ने श्राप दिया था की इस शहर में हर तीसरे वर्ष अकाल पडेगा |जब तक राजा स्वयं वहां पहुंचे तब तक वे महात्मा वहां से जा चुके थे।उस स्थान पर एक मंदिर बना दिया गया था| और वह मंदिर  चिडियानाथ जी की गुफा के नाम से जाना जाता हे |और अक्सर यहाँ पर बारिश कम होती हे और यहाँ के निवासी इसे उस महात्मा  का श्राप समझ कर सांत्वना कर लेते हे ।








प्रत्येक शहर की कुछ विशेषता होती है ।यह विशेषता वहां के इतिहास एवं भोगोलिक परस्थितियों  से प्रभावित होती है ।जोधपुर शहर थार  मरुस्थल में स्थित होने के कारण  यहाँ का रहन सहन एवं खान पान
भी अलग तरह का है अत्यधिक तापमान के कारन एवं पानी की कमी की  वजह से  खाने के व्यंजन में घी एवं तेल अधिक मात्रा  में काम में लिए जाते है जिससे पका हुआ खाना अधिक तापमान पर भी ज्यादा समय तक खाने योग्य रहे  ।




                                                                  मेहरानगढ़ फोर्ट  
   इस शहर का एतिहासिक किला मेहेरान्गढ़ फोर्ट के नाम से प्रसिद्ध हे| । यह किला   ४०० फीटऊँची पहाड़ी पर  बना हुआ हे |यह किला शहर के उत्तर में हे |और किले के परकोटे में ही शहर बसा हुआ हे |परकोटा के बीच में शहर के अन्दर प्रवेश के लिए द्वार बने हुए हे |जेसे जालोरी गेट,सिवांची गेट ,चांदपोल गेट सोजती  गेट नागौरी गेट आदि|गिरदी गेट पर एक बहुत ही सुन्दर  इमारत हे जिसे घंटाघर के नाम से जाना जाता हे ।इसके अन्दर जो घडी लगी हुई हे वह एतिहासिक  हे ।इसी से लगता हुआ  जो बाजार हे उसे सरदार मार्केट कहते हे।

यह स्थान शहर का बहुत ही व्यस्ततम  हिस्सा   हे ।यहाँ पर शहर के आस पास के गांवों  की जनता अपनी आवश्यकता का सामान खरीदने आती हे ।



पर्यटकों के लिए भी यह बहुत ही आकर्षक  स्थान हे ।विशेष कर  विदेशी पर्यटकों को यह सरदार मार्केट बहुत ही





आकर्षक  लगता हे ।सरदार मार्केट के अन्दर की तरफ जा कर बायीं तरफ के रास्ते से शहर के भीतरी हिस्सों का नजारा देख सकते हे ।
इसी बाजार में प्रतिदिन के उपयोग की हर तरह की खरीदारी की जा सकती हे।


दर्शनीय स्थलों में  मेहेरान्गढ़  फोर्ट  उम्मीद  भवन palace,जसवंत थड़ा,एव मंडोर उद्यान हे।पुराने समय में कई स्थानों पर कुए थे जो पीने के पानी के मुख्या स्त्रोर थे कुछ तालाब जो भी बारिश का पानी एकत्रित कर के
वर्ष भर पानी उपलब्ध करते थे ।लेकिन पिछले तीस वर्षों से इंदिरा गाँधी नाहर के आ जाने से शहर में पानी की समस्या  से राहत  मिली है।




                                                 
                                                                      उम्मेद भवन 
|उम्मेद  भवन राजा उम्मेद   सिंह द्वारा 1929 में बनवाया गया था। यह भवन छितर के पत्थर से बनवाया गया हे||उस समय जो अकाल पड़ा तब लोगों को काम देने के उद्धेश्य से इसका निर्माण हुआ |इस भवन के बनाने में 14 वर्ष लगे ।यह एक ऊंची पहाड़ी प र बना हुआ । हे ।यह भवन  हिन्दू  एवं गोथिक स्थापत्य कला के मिश्रण का उत्कृष्ट उदहारण हे ।इस भवन में 350 से भी अधिक कमरे हे ।कुछ भाग को होटल बना दिया हे ।शेष भाग राज परिवार का निवास स्थान  हे ।
इसकी स्थापत्य कला बहुत  ही सुन्दर हे |
जसवंत थड़ा में  राजघराने के दिवंगत सदस्यों के मकबरे बने हुए हे |सफ़ेद संगमरमर के बने हुए इस इमारत की कारीगरी देखते ही बनती हे ।


यहाँ का बंधेज का काम बहुत ही प्रसिद्ध हे |शहर के कुछ इलाकों में रंग बिरंगे दुपट्टे एव साड़िया सूखती हुई दिखाई देंगी |औरतें कपडे पर बंधेज का काम करते हुए भी दिखाई देती हे | एक छोटा सा ओजार अपनी उंगली में पहनकर (जो   की   कपडे कोउठाने के काम   आता हे । )इसे नाखालिया कहते हे यह एक थिम्बल  या अन्गुश्तानी  की तरह होता हे । कारीगर कपडे को धागे से डिजाइन  के ऊपर बांधते हे ।उसके बाद उसे रंगते हे ।जहाँ पर कपड़ा बंधा हुआ   होता हे वहां रंग नहीं लगता हे ।हर तरह के वस्त्रों पर यह काम किया जाता हे जेसे की रेशम,सूती,शिफोन आदि ।जितना बारीक डिजाई न उतना ही अधिक समय एवं मेहनत लगती  हे एवं उतना ही सुन्दर और महंगा होता हे ।
जोधपुर का दरी उद्योग भी बहुत प्रसिद्ध हे ।यहाँ से 20 किलोमीटर की दूरी पर पाली हाइवे पर कांकाणी गाँव हे


जहां बहुत ही सुंदर दरिया बनाई जाती हे ।यह दरिया विश्व भर में निर्यात की जाती हे ।
यहाँ के लोग खाने के बहुत ही शौक़ीन होते हे |हर गली के नुक्कड़ पर मिठाई एव नमकीन की दूकान इसका उदारहण हे | वर्ष भर यहाँ सुबह गरम जलेबी  मिठाई की दूकान पर नाश्ते के लिए मिलती  हे। यहाँ की प्रसिद्ध  मिठाई  मावा कचोरी हे |चोंकिये मत यह मीठी कचोरी हे जिसमे सिका हुआ मावा भर कर बनाते हे |यहाँ का प्रसिद्ध नमकीन मिर्ची  बड़ा हे |
 इस शहर की भाषा जो की मारवाड़ी हे बहुत ही मीठी एव अदब वाली हे |यहाँ के निवासी बहुत ही गर्व से कहते हे की मीठा खाते हे और मीठा बोलते हे ।शायद यह कह कर वे अपने अधिक मिठाई के सेवन की सार्थकता सिद्ध करने का प्रयास करते हे ।

थार मरुस्थल में बसे होने की वजह से इस शहर पर प्रकृति की मेहरबानी कम हे |और  पानी की कमी होने से न तो यहाँ पर कोई industry हे और न ही अधिक खेती हो सकती हे

                                                                  पत्थर की खान          
|लेकिन फिर भी लगता हे कुदरत मेहरबान हो गयी |इस शहर के आस पास पत्थर की बहुत ही खाने हे |यह पत्थर गुलाबी रंग का होता हे इसे छितर का पत्थर कहा जाता हे | और बहुत ही  मजबूत होता हे  |नक्काशी का काम इस पत्थर पर बहुत ही बारीकी  से किया जाता हे |और देश के दूर दराज के इलाकों में इस  पत्थर की मांग हे |इन खानों में स्थानीय निवासियों को रोजगार मिल जाता हे  ।
                 
                                                         छितर के पत्थर से बनी इमारत 
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पूरे मारवाड़ में रेगिस्तान फेला हुआ  हे ।प्रकृति ने रंगों के नाम पर रेत  का रंग ही भरा हे यहाँ पर ।लेकिन यहाँ के निवासियों ने रंगों की इस कमी को अपने वेशभूषा से पूरा किया हे ।यहाँ की स्त्रियों की पोशाक लहंगा एवं ओढ़नी हे जो की विभिन्न रंगों के होते हे ।हर मोसम के रंग इन पोशाको में दिखाते हे ।
सावन के महीने में लहरिया खास कर के हरे रंग का बहुत ही लोकप्रिय हे ।दिवाली के त्यौहार पर लाल रंग की बंधेज की चुन्दडी एवं फागुन होली के अवसर पर फागणिया  जो की एक  विशेष प्रकार की बंधेज  की डिजाई न हलके रंगों की होती हे ।पुरुष भी विभिन्न रंग  के साफे अवसर  विशेष के अनुसार पहनते हे ।
यहाँ पर एक कहावत है की सात वार और नौ त्यौहार ।अर्थात सप्ताह के सात दिन में नौ त्यौहार कैसे मनाये जाय लेकिन यहाँ के निवासी हर त्यौहार को उत्साह से मनाते हें ।
होली दिवाली दशहरा रक्षाबंधन एवं गणगौर यहाँ के प्रमुख त्यौहार हे ।गणगौर का त्यौहार राजस्थान प्रान्त में ही मुख्य रूप से मनाया जाता हे ।
होली के बाद में आरंभ हो कर पंद्रह दिन तक चलने वाला महिलाओं का  यह बहुत ही प्रमुख त्यौहार हे ।
युवतियां सज धज कर जलाशय का पवित्र जल चमकते हुए लोटों में भर कर सामूहिक रूप से गीत गाती हुई
दिखाई देती हे ।इसी जल से मिटटी के सकोरे  में मिटटी  डाल  कर गेहूं की बाले उगाये जाती हे पूजा के लिए।
जी हाँ यह गणगौर पूजा की तैयारी हे।
यहाँ का रेलवे स्टेशन बहुत ही सुन्दर बना हुआ हे|यह ईमारत भी इसी पत्थर से बनी हुई हे ।इस शहर के महत्वपूर्ण भवन अधिकांश  यहाँ के छितर के पत्थर से बनाये  गए हे ।
यहाँ पर सफ़ेद धातु एवं लकड़ी  से  मूर्तियां  बनाई जाती हे ।यहाँ के लोग हर त्यौहार को बहुत ही धूम धाम से मनाते हें यदि देखा जाए तो त्यौहार भी यहाँ पर बहुत हें ।
एक कहावत हे कि


यहाँ के निवासी देश में ही नहीं विदेश में भी जा कर बसे हे ।फिर भी अवसर मिलते ही जोधपुर आने के प्रयास में रहते हे ।विशेष कर के अपने बच्चों की शादी  समारोह का  जोधपुर शहर में करना पसंद करते हे ।इसी कारण  यह यह कहना अतिशयोक्यी नहीं होगी कि शादियों का आयोजन यहाँ की बहुत बड़ा उद्योग हे ।शादी के स्थल,टेंट हाउस (जहाँ से सजावट और उपयोग का सामान किराये प् लिया जाता हे)कटेरेर्स ,बंड बाजे  वाले
इस शहर में बहुतायत में उपलब्ध हे ।
पकिस्तान की सीमा से पास होने के कारण थार  एक्सप्रेस यहीं से चलती हे।यह रेल सेवा भारत और पकिस्तान के अछे सम्बन्ध बनाने के बाद आरम्भ की गयी हे ।
    पहले यहाँ पर तकनीकी शिक्षा के लिए एकमात्र  इंजीनियरिंग कॉलेज था लेकिन उसके बाद में कई शैक्षणिक संस्थान आरंभ हो गए .राष्ट्रीय स्तर के संस्थान जेसे की आई आई टी ,A I M S आदि
राष्ट्रीय स्तर की NLU भी यहाँ पर हे
सीमावर्ती क्षेत्र  के कारण यह शहर थल सेना एवं वायु सेना का बेस हे यहाँ का हवाई अड्डा सैनिक हवाई अड्डा हे

यहाँ  पहुँचने के लिए देश के सभी बड़े शहरों से सीधी रेल    है ।दिल्ली एवं मुंबई से जोधपुर विमान सेवा से भी जुड़ा हुआ है ।







vegetable soup

 Soup is a good option for dinner  after a heavy lunch.
 Ingredients

1 medium size potato
4 tomatoes
2 carrots
2 table spoon cream or malai
1/4 teaspoon grounded pepper
salt to taste

Peel and dice potatoes.Dice tomatoes .Wash and cut carrots.In pressure cooker with 3 cups water add all diced vegetables and heat till 2 whistles.After 10 minutes open the cooker.When the contents are not so hot to put into mixer then grind in the mixer to a smooth  liquid..Strain the mixture through a sieve.Let it boil again for 2 minutes .Switch off the flame and sprinkle pepper and salt .While serving put a dollop of fresh cream or malai.
Serve hot.