Monday, October 22, 2018

Sweet rice(Binach. Marwari name)

                                                             Sweet Rice

                                                     



Rice is staple food in most of the states in India.Day to day meal rice is eaten in its simplest form i,e.
Rice cooked in water. By using this white grain and adding different spices or seasoning numerous dishes can be prepared viz. spicy or sweet.In southern part of India Tamarind rice,Lemon rice,
Curd rice and so on. In northern part spicy rice dishes are commonly known as Pulao or Tehari in marwar area.A rich rice preparation is also called as Rajasthani Kabuli. Recipe for this can be find in this blog.In this post I am telling about rice as a desert.Party is never complete without desert and these modern times in most of the parties readymade desert is being served to save time and energy of the organisers.


This is very simple and all the ingredients are available easily in our pantry.


Ingredients required
Basmati rice        1 cup
Sugar.                   1/8.  cup
Ghee.                     4 tablespoon
Cardamom powder.   1 teaspoon
Saffron.  Soaked in water or milk.    Few strands

Cloves.                     8
Cashews.                  8
Raisins.                     8
Almonds.    (Slivered).  8
     
Wash rice in water.    

In a pressure cooker add one cup water and add rice .Put lid and after one whistle remove cooker from stove.Let it cool and open the cooker.
In a thick bottom or non stick pan pour ghee and put on burner.When ghee is hot enough to give aroma then add cloves and cashews ,almonds now add rice and stir gently then add sugar ,saffron and cardamom powder .Stir gently till all the seasoning get mixed with rice now add raisins.
Sweet rice is ready to serve.
Enjoy this desert with your family.


Saturday, June 16, 2018

A trip to Orissa

हमरा देश तीन तरफ़  से समुद्र से घिरा हुआ हे। समुद्र के किनारे रहने वाले निवासियों के जीवन के अनुभव भिन्न तरह के होते हे. जो लोग समुद्र से दूर रहते हे उनकी कल्पना में समुद्र के बारे में तरह तरह के दृश्य उभरते>है।क्योंकि मेरा जन्म और बचपन मे थार के रेगिस्तान के शहर जोधपुर में हुआ जहां पर इंदिरा नहर के आने के पहले पानी की बहुत कमी थी अतः में सदा से ही बाग़ बगीचों ,झील,तालाबों में ही आनंद अनुभव कराती हूँ. उड़ीसा पहुँचते ही मन प्रसन्न हो गया। उपजाऊ भूमि,एवं जल के संसाधनों की बहुतायत से हर तरफ हरा भरा नजर .>हमारा पहला पड़ाव उड़ीसा में भुवनेश्वर था
यह उड़ीसा की राजधानी है। हवाई अड्डे पर उतरते ही लगा कि यह शहर बहुत ही आधुनिक संसाधनों से परिपूर्ण होगा। शहर साफ सुथरा शहर। निवासी मृदुभाषी एवं सरल स्वाभाव के हे.. भुवनेश्वर में हमने यहाँ के म्यूजियम को देखने का प्लान बनाया था। उसके बाद में धौली का रात्रि का ध्वनि एवं प्रकाश का शो. देखना था

                                                                                                          धौळी  का  स्मारक 

                                                             
 धौली यहाँ की दया नदी के पास बना हुआ बुद्ध धर्म का स्मारक है  दया नदी का ऐतिहासिक मह्त्व है । इसी नदी के पास सम्राट अशोक ने कलिंग का युद्ध लड़ा था परिणाम वश यह नदी रक्त रंजित हो गयी थी।  एवं उसके बाद सम्राटअशोक  ने बौद्ध धर्म अपना लिया था
यही युद्ध कलिंगा के युद्ध के नाम से जाना जाता हे। यह युद्ध बहुत ही भयंकर था।कहा जाता हे की इस युद्ध के कारन दया नदी  का पानी रक्त रंजीत हो गया था। रात्रि का शो बहुत ही आकर्षक था। ऐसा महसूस हुआ कि मौर्या वंश के काल में बैठे हुए सब देख रहे भुवनेश्वर के बाद हमने कोणार्क मंदिर देखने का निश्चित किया। लेकिन उसके पहले हमने भुवनेश्वर के पास ही कुछ मंदिरो के दर्शन किये। वैसे तो इस जगह के चारोऔर अनगिनत मंदिर हे। सभी अपने आप में भव्य एवं ऐतिहासिक;हे। सभी को देखना संभव नहीं था समयाभाव के कारण। अतः हम लिंगराज मंदिर एवं राजा रानी मंदिर के दर्शन किये। कोणार्क मंदिर सूर्यदेवता का मंदिर हे..य़ह भुवनेश्वर से सत्तर   किलोमीटर दूर हे .
                                                                        कोणार्क 
               

                                                                 कोनार्क का सूर्य मन्दिर

बहुत विस्त्रत   मैदान मे फ़ैला हुआ हे .इस मंदिर को राजा नरसिंह देव  ने १३ वी शताब्दी में बनवाया था। इसका निर्माण कलिंग स्थापत्य कला के अनुसार किया गया है। यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित हे। प्रभात की पहली किरण इस मंदिर में पहुंचती है। सूर्य के सात घोड़े एवं रथ के २४ पहिये इस मंदिर की स्थापत्य  कला में देखे जा सकते हे। यह स्थान अब विश्व की यूनेस्को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में दर्ज़ हे। 
कोणार्क के बाद हमने  पूरी के लिए अपनी यात्रा आरम्भ की। रास्ते  में हम कुछ समय के लिए चंद्रभागा बीच पर रुके। यह सम्पूर्ण यात्रा हमारी ओडिशा के समुद्री तट के सहारे चल रही थी। 
पूरी पहुँचाने पर शाम हो  गयी  थी । अतः पहला आकर्षण समुद्र तट पर सूर्यास्त का नज़ारा देखना  था। 

इसके बाद में हमने भगवान् जगन्नाथ के दर्शन करने गये। यह जगह हिन्दुओं के चार धाम में से एक हे ,
यहाँ पर कृष्णा बलराम एवं सुभद्रा की मूर्तियां हे ,यह मूर्तियां नीम की लकड़ी में उकेरी गयी हे ,

                                                 

जग्गनाथ मन्दिर पुरी 
वर्ष में एक बार इन मूर्तियों की रथ यात्रा निकली जाती हे। बहुत  बड़े रथ में विराजमान कर के इनको गुण्डिचा 
मंदिर में पहुँचाया जाता हे। इस यात्रा  के दर्शन करने लाखों श्रद्धालु पूरे देश से पहुंचते हे। 
                                                                    
                                                            गुण्डिचा मन्दिर का प्रवेश द्वार 


भुवनेश्वर में ही उदयगिरी एवं खण्डगिरि   की  अति प्राचीन गुफाएं है। 
यकहन का नंदन कानन राष्ट्रीय उद्यान भी देखा '

                                                             
                                                                      उद्यान  में पक्षी 



मंगल जोड़ी पक्षी अभयारण्य 

यह छिलका लेक के 



चिलका लेक 
                                
                                           यह लेक माइग्रेटरी पक्षियों के लिये बहुत ही उपर्युक्त है। 

Friday, June 15, 2018

Amsterdam

                                                                 नहरों का जाल या नेदरलैंड



 दुनिया के हर हिस्से में खूबसूरत शहर मिलते हे। सभी अपने आप में विशिष्ट। ऐतिहासिक दृष्टि से ,प्राकृतिक,मौसम,व्यापार कोई भी कारन हो सकता हे विशिष्टता का। एम्स्टर्डम शहर जो कि नेदरलैण्ड की राजधानी हे वहां जाने का अवसर मिला। जब एम्स्टर्डम शहर में भ्रमण किया तो समझ में आया की यह शहर तो सभी कारणोंसे महत्वपूर्ण हे। यूरोप का अन्य देशों के साथ व्यापार में इस शहर की मुख्य पहचान बनी हुई है। आज भी यहाँ का हवाई अड्डा बहुत ही व्यस्त एवम बड़ा हे। इस शहर का नाम यहाँ की एम्स्टर नदी पर बने डैम के किनारे बसे होने के कारण पड़ा। पूरा शहर नहरों के जाल के किनारों पर बसा हुआ हे। यहाँ पर १५० से भी अधिक नहरे हे जो की अनगिनत पुल के नीचे से निकलती हे।


                     
                                                                           टूरिस्ट बोट 


 इस शहर का भ्रमण भी हमने नाव में बैठ कर ही किया था।इन नहरों के दोनों ओर सुन्दर घ" हम ब्रुसेल्स के पास छोटे से टाउन से कार द्वारा दो घंटे में एम्स्टर्डम पहुँच गए थे। हमारा होटल एयरपोर्ट के पास में था। शहर देखने के लिए हमने एयरपोर्ट से मेट्रो ट्रैन में बैठ कर गए. हिन्दीफ़िल्मों के बहुत; दृश्य यहाँ पर फिल्माए गए थे।और आज भी यहाँ पर बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग होती है।




                                                     

  टुलिप के रंग बिरंगे फूल 

                                              अप्रेल के महीने में यहाँ पर सैलानियों की भरमार रहती हे।

यूरोप में बाइसिकल बहुत ही लोकप्रिय हे। छोटी दूरी के लिए लोग इसका प्रयोग बहुत करते हे। 
पूरे परिवार को एक साथ बाइसिकल पर घूमते हुए देखना एकदम सामान्य सी बात हे। 
इसको और आसान बनाने के लिए बाइसिकल के लिए विशेष लेन फुटपाथ  में लाल रंग की बनी होती हे जिस पर पैदल चलना वर्जित हे। 

        
एम्स्टर्डम में बाइसिकल उपलब्ध हे 



अधिकांश शहरों में किराये पर बाइसिकल उपलब्ध रहती हे। यह स्वास्थ्य की दृष्टी से भी एवं भीड़ भाड़ की जगहों
में सुविधा के तौर पर काम में ली जाती हे। 







Sunday, April 1, 2018

Wheat dalia

       Wheat Dalia is a common breakfast in northern India .RegularWheat Dalia takes time to get cooked but now a days smaller pieces of this is available in Indian stores which gets easily cooked in less than ten minutes.Best part of this dish is one can add vegetables of your choice.




                                                               



Ingredients required
 1 cup wheat Dalia
2 tabspoon oil
1/2 teaspoon mustard seeds
A pinch of hing (asoefatieda)
1/4 teaspoon of turmeric powder
1/2 teaspoon of red chilli powder
1/2 teaspoon of Garamond masala
Vegetables

                                                                 

1/2 cup finely chopped cauliflower
1/2 cup finely chopped tomatoes
1/2 cup fresh green peas
1/2 cup potatoes (diced in small pieces)
2 table spoon finely chopped green coriander,ginger,green chillies

In a thick bottom or non stick pan put oil and when it gets heated then add hing and mustard seeds .When it starts crackling then pour Dalia and start stirring till it gets roasted .After five minutes add turmeric and chilli powder stir and then add all vegetables.Stir well and add 2and half cup water .
Let it cook for next five minutes till Dalia and vegetables tender.Turn off the burner and add Garam masala ,coriander,chillies,and ginger.Stir and it is ready to serve after putting some butter or ghee over it.

Tips.     Vegetables should be chopped finely .
           
             Calorie conscious can avoid butter or ghee.

Friday, March 2, 2018

Samay aur rishte


                                               समय और रिश्ते



         जी हाँ समय और रिश्तों का गहरा रिश्ता हे। यह वाक्य शायद पहली नज़र में कुछ अटपटा सा लगेगा लेकिन यह    स च्चाई हे। इंसान इस दुनिया में कुछ रिश्तों के साथ ही प्रवेश करता हे। जो कि खून के रिश्ते यानि कि परिवार के सदस्य एवं इन सदस्यों के मित्रगण। जैसे जैसे वह बड़ा होता हे अपने आस पास खेलने वालों से दोस्ती करता हे. पाठशाला एवं  कॉलेज में मित्र एवं गुरुजनो के सम्पर्क में आता हे। इनमे कुछ के साथ विशेष मित्रता हो जाती हे. रिश्ते बन जाते हे।
इन सभी रिश्तों को निभाना जरूरी हे. यह रिश्ते खेती की तरह होते हे। रिश्ते बनाना बीज बोने की तरह हे. लेकिन यदि इन रिश्तो की देखभाल नहीं की जाए तो रिश्ते यह मुरझा सकते हे। समय और प्रयत्न रिश्तों की खाद हे।
कहते है कि बचपन में प्यार मुफ्त में मिलता है और बड़े होने पर उसे कमाना पड़ता है। कमाने से मतलब हमें
प्रयास करना पड़ता है कि रिश्तों में मिठास बनी रहे और इसका प्यार हमें मिलता रहे।

इसके लिए हमें हमारा समय देना अत्यंत आवशयक हे। इनके सुख दुःख में शामिल होना जरूरी हे।
जरूरत के समय मदद करने से रिश्तों में मजबूती आती हे।
शिक्षा समाप्त होने के बाद अपनी आजीविका के लिए कहीं जाना पड़ता हे। नयीजगह  नए लोग। नए पड़ोसी। दायरा बढ़ता हे रिश्तों का।
इसका यह अर्थ नहीं कि पुराने संबंधों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाये। पुराने संबंधों से दूर आ जाते हे लेकिन फिर भी आज के युग में तकनिकी सहायता से दूरी पर विजय पा ली गयी हे। फ़ोन,ईमेल,एवं सोशल साइट्स के द्वारा हम संपर्क में रह सकते हे। जनम दिन ,शादी की सालगिरह आदि पर एक छोटा सा सन्देश ,या तरक्की के अवसर बधाई  का सन्देश भेज देने से रिश्ते मजबूत होते हे। और कम समय में संपर्क बना रहता हे।



ज़रा सोचिये जब हमें अपने जनम दिन पर कोई सन्देश मिलता हे तो हम अपने आप को कितना महत्वपूर्ण समझने लगते हे ,ख़ुशी होती हे।

इंटरनेट का जमाना हे। यदि किसी को सौगात भेजने का बजट हे तो उसकी भी सुविधा  हो गयी हे।
छोटा सा सन्देश ,छोटी सी सौगात ,थोड़ा सा समय और नतीजा ढेर सारे रिश्तेदार या कहे की शुभचिंतक।
जी हाँ शुभचिन्तक क्योंकि यदि आप इनकी प्रगति पर बधाई सन्देश भेजते हे तो ये भी शुभकामना करेंगे की आपके जीवन में भी ऐसे क्षण आये की ये अपनी ख़ुशी प्रकट कर सकें।
इसके अलावा यदि कोई कठिनाई में हे तो हर संभव उसकी मदद करने से भी संबंधों में प्रगाढ़ता आती हे।


आज से पचास साल पहले जिंदगी की गति इतनी तेज नहीं थी जितनी आज हे। इस धीमी गति को तेजी मिली हे फ़ोन एवं इंटरनेट से। जब २००१ में भूकंप गुजरात में आया तो उसकी सूचना भारत के दक्षिण प्रान्त के निवासियों को उनके अमेरिकाएवं विश्व के अनेक कोनो  में रहने वाले रिश्तेदारों से मिली।
और शीघ्र् ही इन प्रवासियों ने अपने लोगों को सहायता पहुँचाने के प्रयत्न आरम्भ कर दिए।
इंटरनेट की वजह से.सम्पूर्ण  विश्व करीब आ गया है। इस तेज गति की जिंदगी में हम कम  समय और कम  प्रत्यनों से रिश्तों को
मजबूत बनाने में आधुनिक तकनीक का सहारा ले सकते हे।


शारीरिक रूप में न सही लेकिन भावनात्मक तौर  हम अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों के सुख दुःख में इन सुविधाओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति का एहसास दिला सकते हे।


  तो अब उठाइये अपना फोन ,कलम या इंटरनेट और करिये  अपने रिश्तों में गरमाहट लाने का प्रयास बिना समय गंवाये।



Friday, February 9, 2018

romanchak rome

                                                     
                                                            रोमांच से भरपूर रोम


विद्यार्थी जीवन में जब स्कूल मेंभूगोल की कक्षा में  विश्व का ग्लोब देखते थे तो अचम्भा होता था की कैसे नक़्शे बनाने वाले सम्पूर्ण विश्व को एक स्फीयर में चित्रित कर देते है। फिर इतिहास में पढ़ते थे विभिन्न सभ्यताओं के बारे में जो की हजारों साल पहले विद्यमान थी। एशिया में हरप्पा एवं मोहनजोदड़ो की सभ्यता एवं  यूरोप में यूनानी सभ्यता। विभिन्न साम्राज्यों में रोमन साम्राज्य एवं इसकी विशालता के बारे में बहुत पढ़ाथा।  किसी भी विशालता का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल होता हे जब तक हम उसे देख नहीं लेते।
सौभाग्य से इस वर्ष अक्टूबर में रोम शहर जो की इटली में हे घूमने का अवसर मिला।हमने ब्रुसेल्स एयरपोर्ट से जो की बेल्जियम में हे रोम की फ्लाइट ली और डेढ़ घंटे में रोम
रोमन साम्राज्य की भव्यता  का अनुमान भी रोम देखने के बाद ही हुआ। आज से हजारों वर्ष पहले जो इम्मारते बनाई गयी उनकी स्थापत्य कला देख कर बहुत ही अचम्भा होता हे। is
इस शहर की स्थापना.  ईसा पूर्व ८०० वर्ष पुरानी बताई जाती हे। कहा जाता हे की पाश्चात्य सभ्यता का जनम यहीं
पर हुआ था।
वैसे तो रोम में अनगिनत दर्शनीय जगह हे। इन सभी को देखना तीन दिन में संभव नहीं था। फिर भी जिन जगह को देखा
देखते ही रह गयी।

फोरम जो कि किसी वक्त बहुत सारी गतिविधयों का केंद्र था आज कुछ मूर्तियों एवं उस समय के इमारतों के खंडहर के रूप में आज मौजूद हे।





यह बाज़ार ,सांस्कृतिक एवं राजनितिक गतिवधियों का स्थान था।हर

                                                        रोम शहर  का फोरम     

       
                                      

यह पर ही जुलुस निकलना,खेल कूद प्रतियोगिता एवं न्यायिक प्रक्रिया होती थी। यह विश्व भर में सबसे अधिक
गतिविधि वाला केंद्र था।
रोम शहर कला एवं स्थापत्य का भण्डार सा हे. .छार सड़क या गली बहुत ही बड़े चौक में मिलती हे और वहां बड़े ऊंचे खम्भे नजर आते हे जिनके ऊपर नक्काशी  द्वारा विभिन्न भाषाओँ में कुछ लिखा हुआ होगा या फिर आकृतियों द्वारा विचार प्रकट किये हुए हे।

                                             
     फोरम में खड़ा स्तम्भ  (नक्काशी वाला खम्भा )
                                                       




                                                                










                                                        स्तम्भ पर की हुयी नक्काशी

 इन स्तम्भ की ऊंचाई को देख कर समझ में ही नै आता की कलाकार ने कैसे इतनी ऊंचाई पर अपनी कला बिखेरी होगी ?
वैटिकन म्यूजियम जो की वैटिकन सिटी के अंदर हे विश्व के उल्लेखनीय म्यूजियम में से एक हे और यहाँ आने वाले     पर्यटकों की संख्या भी अनगिनत हे।
यहाँ पर ७०,००० से भी अधिक कलाकृतियों का संग्रह हे जिसमे से २०,००० के करीब पर्यटकों के लिए रखी  गयी हे।
इनमे पोप द्वारा एकत्रित किये गए भित्ति चित्र एवं उच्च कोटि की स्थापत्य कला की मूर्तियां हे। माईकल ऐंजेलो जो की   चित्रकला एवं स्थापत्यकला दोनों में निपुण था के द्वारा बनाये गए कलाकृति का संग्रह हे.
ट्रेवी फाउंटेन जो की १८वी शताब्दी में  रोम के ट्रेवी तहसील में बनवाया गया था.पत्थऱ से तराशा गए यह फवारा देखते हे तो लगता हे की से निहारते ही रहे। रात्रि के समय तो इसमें और भी निखार आ जाता हे। यहाँ पर बहुत हॉलीवूड की फिल्मो की शूटिंग भी हो चुकी हे. मान्यता हे की यदि इसमें एक सिक्का फेका जाने पर यहाँ दुबारा आने का संयोग बनता हे. इस वजह से हर पर्यटक यहाँ सिक्का फेकते रहते हे और प्रशासन इन सिक्को को यहाँ से निकालते  हे।
                     

पूरे विश्व में प्रसिद्ध पिज़्ज़ा एवम पास्ता इटली की ही देन है। और इसी कारण रोम के हर गली कूचे में पिज़्ज़ा एवम पास्ता की रेस्त्रां   मिल जायेंगे। यहां पर शाकाहारी  पर्यटकों को अधिक  दिक्कत नहीं होती हे।
हर सड़क कुछ दूरी के बाद एक विशाल चौक में मिल जाती हे। इस तरह पूरे शहर में अनगिनत चौक हे
चौक के बीच में  या तो विशाल स्तम्भ या सूंदर कलाकृतियों से सुसज्जित फव्वारा है जो की जगह की खूबसूरती को निखारता है।
अनगिनत म्यूजियम भी हे यहाँ पर लेकिंन सभी को देखना कम समय में सम्भव नहीं हे।
यहाँ पर एक स्थान है जिसे स्पेनिश स्टेप्स कहते है। हर समय पर्याटकों की भीड़ लगी रहती है। बहुत ही सुन्दर
संरचना है।