Monday, November 14, 2011

Lassi - Makhania

       Lassi - Makhania

       Ingredients Required      (For two glasses)

      2 cup  Curd

     1 cup milk

     2 tablespoon cream

     4 tablespoon    sugar

    1/4 teaspoon cardamom powder

    Pinch of saffron. (soaked in water)

    Dry fruits   (almonds,pistachio)





        Mix curd,milk and sugar in a vessel and blend with  a hand blender.Add cardamom       powder  and  saffron. Pour in two glasses. Garnish with dry fruits and some crushed ice.add a dollop of cream in each glass.Serve chilled .








Tuesday, November 8, 2011

Meheran Garh Fort (Jodhpur Ka Kila)

                                                            मेहेरान गढ़ का किला
         
          भारत के पश्चिम में राजस्थान राज्य एतिहासिक महत्व का राज्य है |इस राज्य के पश्चिम में स्थित है मेहेरानगढ़ का किला जिसके चारोँ ओर जोधपुर शहर बसा हुआ है |संस्कृत में मिहिर का अर्थ सूर्य होता हे इसी कारण इसका नाम मेहेरान्गढ़ हुआ क्योकि यहाँ सूर्य की उपस्थिति अधिकांश दिनों में रहती हे |यह किला राव जोधाजी द्वारा बनवाया गया ||यह किला एक चट्टान पर बना  है | इसकी बनावट ऐसी है कि यह पता लगाना मुश्किल है कि किले की इमारत चट्टान से ही बनी है या अलग से पत्थरों से बनायी गयी है ||जोधपुर रेलवे स्टेशन से किले तक पहुंचने के लिए ३ किलोमीटर घुमावदार सड़क है जो आपको पुराने शहर की एक झलक भी दिखलाती है |किले का प्रवेशद्वार फतेहपोल के नाम से जाना जाता है पोल का अर्थ विशाल  द्वार होता है |इस तरह के सात द्वार बने हुआ है जो कि अलह अलग राजाओं द्वारा उनके समय में उनकी उपलब्धियों के अवसर में बनवाए गए |इनके नाम जय पोल ,लोह पोल इमरतिया पोल एवं 




सूरजपोल  आदि है |एक किंवदंती के अनुसार इस किले के निर्माण के समय एक संत  यहाँ पर तपस्या करते थे |जब उनका तपस्या स्थल वहां से हटाया गया तो वे क्रोधित हो गए |उन्होंने श्राप दिया कि इस स्थान पर हर तीसरे वर्ष अकाल पडेगा |अतः जब भी अनावृष्टि होती है तो यहाँ के निवासी उस श्राप की  पुष्टि होने की  बात करते है |संत के तपस्या स्थल पर एक बोर्ड लगा हुआ है जो दर्शाता है "चिडियानाथ जी कि गुफा"|

फतेहपोल से चढ़ाई शुरू करने के बाद ३०० ft  से भी अधिक उंचाई पर पहुंचने पर  देवी चौमुंडा का मंदिर बना हुआ है |चौमुन्डा राज परिवार की इष्ट देवी है | देवी चौमुन्डा की मूर्ती राव जोधाजी मंडोर से लाये थे |मंडोर पहले जोधपुर की राजधानी थी |मंदिर से पहले जो खुली जगह है वहां पर एतिहासिक तोपें रखी हुई है | जिसमे प्रसिध्ध किलकिला तोप जो कि बहुत बड़ी और वजनदार  भी है   |

यहाँ खड़े हो कर  पूरे  शहर का नजारा देख सकते है |जोधपुर शहर इस किले के चारों ओर बसा हुआ है |यदि यह कहें कि शहर के हर कोने से किला देख सकते हें  तो यह भी  सही है |
                                                 किले के झरोखे से शहर का नज़ारा

पुराने समय में शहर में प्रवेश करने के लिए कुछ द्वार थे जो कि एक मज़बूत परकोटे से जुड़े हुए थे और यह परकोटा शहर की सुरक्षा के लिए था |अब यातायात की सुविधा के कारण जगह जगह पर इस परकोटे को तोड दिया गया है लेकिन इन द्वारों को अभी भी यथावत रखा गया है |इनके नाम है जालोरी गेट,सिवांची गेट,सोजती गेट एवं नागोरी गेट आदि |जालोर शहर की और जाने वाली सड़क पर जो द्वार बना हुआ हे वह जालोरी गेट के नाम से जाना जाता हे ।इसी तरह से नागोर की तरफ नागोरी गेट एवं सोजत से सोजती गेट ।

       किले के अन्दर ही एक संग्रहालय है जिसमे बहुत ही दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह है |
एतिहासिक हथियार ,वाध्य यंत्र ,पेंटिंग्स इत्यादि है |



                                                  संग्रहालय में रखी सोने की पालकी


तरह  तरह के सोने से बने पालने एवं पालकी यहाँ रखी हुई हे |यह वस्तुएं यहाँ के राजा के परिवार के सदस्यों  के उपयोग में लाई जाती थी |हाथी दांत से बनी हुई कलाकृतियाँ भी यहाँ पर देखने में आती हें |हालाँकि इसे क्रुएल्टी अगेंस्ट एनीमल के अनुसार इसकी तारीफ़ न कर के निंदा की जानी चाहिए पर यह तो एतिहासिक सत्य है |



                                       महल की छत में की गयी सोने की नक्काशी और चित्रकारी

     हर एक महल की साज सज्जा और बनावट के अनुसार ही महल के नाम रखे गए हें
जैसे कि मोती महल, फूल महल आदि |

किले की प्राचीर परएक   तरफ  तोपें राखी हुई हे ।यह तोपें युध्ह के समय अलग स्थानों से जीत कर लाई  हुई हे ।इन तोपों पर इनके नाम अंकित हे ।इनमे सब से  अधिक  वजन वाली तो प  का नाम  किलकिला तोप हे ।

इतिहास एवं स्थापत्य कला में रूचि रखने वालों के लिए यह एक दुर्लभ एवं दर्शनीय स्थल है |