जिनेवा एयरपोर्ट से कार से हम सवा घंटे का सफर कर के शामोनी पहुंचे यह एक घंटे का सफर बहुत ही सूंदर वादियों का था. सड़क के एक और ाबरफ से ढके हुए आल्प्स के पहाड़ एवं दूसरी और सूंदर रहवासी इलाका.
अप्रेल का महीना था। गर्मी के मौसम की शुरुआत थी। अतः बर्फ और हरियाली दोनों विद्यमान थे. छोटे छोटे टाउनशिप
एकदम प्रकृति के करीब करीने से सजे हुए. .यह तय कर पाना मुश्किल था कि इन दृश्यों को केमेरे में कैद करूँ या मस्तिष्क की हार्ड डिस्क में। इस सफर को तय करके जब हम शमोनी पहुंचे तो अपने आप को चरों और से आल्प्स
श्रेणी से घिरा पाया ३६० डिग्री से घूम कर देखा तो भी आल्प्स ही नज़र आये.
हमने एक अपार्टमेंट बुक कर लिया था। इसमें सभी सुविधा थी. अपार्टमेंट की बालकनी से
से जो दृश्य नज़र आया वह इस चित्र में हे। पर्वत पर चरों तरफ केबल कार का आवागमन एवं बेलून उड़ाते हुए।
सम्पूर्ण इलाका सैलानियों से आबाद। लगा की शायद गर्मी के मौसम में सैलानी अधिक हे।
लेकिन यह जान कर आश्चर्य हुआ की यहां पर ठण्ड के मौसम में भी टूरिस्ट आते रहते हे। सर्दी में बर्फ पर स्कीइंग करने वालों की तादाद अधिक होती हे। यहाँ के निवासियों की आजीविका सैलानियों के सहारे चलाती हे.
रेस्टॉरेंट्स ,दुकाने ,और बर्फ में होने वाले स्पोर्ट्स के उपकरणों की बिक्री एवं मरम्मत आदि से।
पर्वतारोहण,और स्कीइंग करने वाले मुख्यतया इस स्थान को पसंद करते हे.
अनगिनत होटल्स एवं अपार्टमेंट्स बने हुए हे यात्रियों के ठहरने के लिए। यहाँ पर जी ग्लेशियर हे उसे मोंट दे ब्लैंक के नाम से जाना जाता हे.यह यूरोप की सबसे ऊंची पहाड़ी पर हे करीब ४५००फ़ीट से अधिक.शामोनी से ग्लेशियर तक पहुँचाने के लिए एक ट्रैन से जाना पड़ता हे। शमोनी विलेज से करीब दो किलोमीटर की ऊंचाई पर हे यह। एक लाल रंग की बहुत ही सूंदर ट्रैन के द्वारा हमने यह सफर तय किया। दो किलोमीटर की यात्रा २५ मिनट में तय हुयी। वहां पहुँचाने पर हम दुनिया से सातवे आसमान पर हे। ट्रैन स्टेशन से ग्लेशियर तक पहुँचने के लिए केबलकार के द्वारा जाना पड़ता हे।
बादल बर्फ से अठखेलियां करते हुऐ |