Thursday, May 23, 2024

Akhane. 2

 अखा ने



सांप रो कई मोटो ने कई छोटो 

हिलायो सू साग जाय ,लडायो सू पूत जाय 

क्रोध सू तपस्या जाय पाप जाय गंग सू 

बाहर जवाई फूल बराबर ,गॉव जवाई आधा 

घर जवाई गधे बराबर ,जब चाहो जब लादा

का ले री पूँछ माते पग देवणो 

जननी  जणे तौ  भागवता ना शूरा ना पङिता

मीठो बोले मोरियो ने आखे ने गटकाय 

Pag pahchone pagrakhi ne Nayan pehchone neh?


तेल बले बाती बाले ने नाम दीये रो होय 



Saturday, June 4, 2022

A window to world war

तो विश्व  का इतिहास हज़ारों वर्षों से अनगिनत युद्ध और संधियों से भरा हुआ हे।
 लेकिन हाल ही में यानि की बीसवीं सदी की प्रमुख घटनाओं में ये दो युद्ध बहुत ही प्रभावशाली हे। 



विश्व के इतिहास में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं में हे दो विश्वा युद्ध।
इनका असर सम्पूर्ण विश्व पर हुआ।

इतिहास में  इसके बारे में  पढ़ा था लेकिन जब यूरोप जाने का अवसर मिला तो यह घटना कुछ अधिक महत्वपूर्ण  आयी 
जर्मनी,बेल्जियम,फ्रांस अदि  में घूमते समय वहांछोड़े   गए युद्ध के  निशानों ने  सोचने पर और लिखने पर  मजबूर कर   दिया 
बेल्जियम में एक टाउन हे  leuven  बहुत ही पुरानी और बड़ी यूनिवर्सिटी है यहाँ पर । यह जगह ब्रुसेल्स से कुछ मील की दूरी पर है।  यहाँ के एक इंडियन दूकान में  एक तस्वीर लगी  थी जब   करीब  से देखा तो पता  चला  की विश्व युद्धमें  भारतीय सिपाही जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के आदेश पर युद्ध लड़ने यूरोप में आये थे उनका ग्रुप फोटो था। देखते ही मन  में ब्रिटिश सरकार के लिए फिर से क्रोध आया। 
उस स्थान पर त्तापमान गर्मी में भी एक अंक सेंटीग्रेड में  रहता हे। वहाँ ये हमारे नागरिक उस देश के लिए लड़े जिससे हम स्वयं लड़ना चाहते थे और अधिकांश ने  अपने प्राणो की बाज़ी  लगा दी। क्यों ?


विश्व का इतिहास दो भाग में बंट गया। विश्व युद्ध के पहले और बाद में.
प्रथम विश्व युद्ध जुलाई १९१४ से नवंबर 1918
तक चला। इसका आरम्भ यूरोप से हुआ थाऑस्ट्रिया से प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ हुआ था..ऑस्ट्रिआ के राजा फर्डीनांड की हत्या  कारण था. इस हत्या के पीछे सर्बिआ के नागरिक का हाथ         बताया गया 
 चार वर्ष तक चले युद्ध में अनगिनत लोग मारे गए. .                                                  बताया गया. 
दो गुट  बने। ऑस्ट्रिया के साथ हंगरी जर्मनी 
सर्बिया के  साथ रशिया ,ब्रिटैन,बेल्जियम 
अमेरिका  और इटली इससे दूर रहे 
वर्सेल्स की संधि के बाद इसका अंत हुआ। राष्ट्र संघ का गठन हुआ। लेकिन २१ वर्ष बाद फिर से ऐसे हालात बने की दूसरा विश्व युद्ध आरम्भ हुआ।
विश्व युद्ध की अधिकतर लड़ाइयां यूरोप में ही लड़ी  गयी थी। जर्मनी ,ऑस्ट्रिया हंगरी और इटली एक तरफ और फ़्रांस एवं रूस और
प्रथम विश्व युद्ध के मुख्य परिणाम
१ सोवियत यूनियन की नीव रखी गयी।
२ राष्ट्र संघ की स्थापना हुयी
3 हिट्लर का ताकतवर बनना और 
नाज़ी सेना द्वारा किये गए अत्याचार जिन्होंने मानवता  की सब हदए पार     कर दी .

कुछ  विवाद जिनका हल नहीं हो सका उनके कारण द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ हुआ
वैसे तो विश्व युद्ध था तो सम्पूर्ण विश्व प्रभावित हुआ था लेकिन यूरोप महाद्वीप पर इसका असर अधिक हुआ था।

जर्मनी पर इनका असर सबसे अधिक हुआ था। लेकिन जर्मनी इस सबसे वापिस ताकतवर शीघ्र बन गया
आज जब कहि जब कुछलोग  मिलते हे जिन्होने दुससरा विश्व युध देखा हे और जब उनसे 
उनके अनुभव सुनने से ही सिहरन पैदा हो जाती हे। जब बर्लिन शहर को देख्नने का अवसर मिला तो हम वहां वह
जगह देखने गए जहाँ पर  दीवार जो गिरा कर पूर्व और पश्चिम जर्मनी को मिलाया गया। 
यहाँ पर ही एक तरफ वो कोठरियां अभी भी बानी हुयी हे जहाँ हिटलर की बर्बरता की कहानी लिखी हुयी हे। 
इनको कंसंट्रेशन केम्प कहा जाता हे। 
हिटलर द्वारा यहूदियों पर किये  गए जुलम इंसानी बर्बरता का  क्रूरतम उदाहरन है। 
यहां तक की स्वयं जर्मनी की जनता इसके बारे में बात करना पसंद नहीं कराती हे। 
वो लोग यह मानते हे की जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। 
निदर लैंड  शहर एम्स्टर्डम में एक  स्थान है  वहां हमने बहुत  कतारें लगी देखी। पूछने पर पता चला की इस इमारत के  अंदर एने फ्रेंक नाम की उस यहूदी  लड़की का वो  घर था जहाँ उसका परिवार दो साल तक हिटलर के अधिकारीयों से छिप कर रह रहा था। आखिर में एक दिन इस परिवार को  पकड़ करले   गए और पूरे परिवार की मृत्यु हिटलर द्वारा बनाये गए उन कंसंट्रेशन कैम्प में  हो गयी।  परिवार का मुखिया यानि की उसका पिता  किसी तरह बच  गया। युद्ध समाप्ति के बाद वह उस घर में  वापिस गया जहा उसे अपनी बेटी द्वारा  लिखे गए उसके दो वर्षों के संस्मरण  वाली डायरी  मिली. .जिसे उसने  छपवाया। 
उसे पढ़ने पर आश्चर्य  होती हे की १३ वर्ष की उम्र में कोई इतने  अच्छा घटनाओ का विवरण कैसे लिख सकता हे। 
उस किताब से वह इतनी प्रसिद्दहो  गयी की  उस घर को  देखने के लिए सभी पर्यटक उत्सुक हे। 
इसका   कई भाषाओ में अनुवाद किया गया। मेरे पास में उसका हिंदी अनुवाद भी है। 

जापान और सोवियत रूस से भी बेहतर जर्मनी ने युद्ध के परिणामों से उबर  कर प्रगति शील देश बना


यूरोप के जिन शहरों में बमबारी से इमारते ध्वस्त हुयी वहां नया निर्माण हुआ। वहां इन इमारतों की स्थापत्य कला 
में फरक देखने में आता हे।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद
7 दिसंबर  जापान ने अमेरिका के पर्ल हारबर    पर आक्रमण किया
८ दिसंबर को अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो गया। अगस्त ६ को अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम  से हमला किया।
जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर तबाह हो गए
दूसरे विश्व युद्ध का अंत जापान द्वारा समर्पण करने  से हुआ।

दूसरे विश्व युद्ध के परिणाम 
     १   संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना
   
      २अमेरिका और रूस का सुपर पावर के रूप में अवतरण
      ३   भारी बमबारी से एशिया और यूरोप में  कई शहर क्षतिग्रस्त

   

   
      

Friday, June 3, 2022

                      आस्था या विश्वास 

मानव बहुत ही मजबूत ह्रदय एवं मजबूत इरादों वाला प्राणी हे। इस मजबूती के बूते पर ही विश्व में इतनी प्रगति हुयी हे 

विज्ञान से सम्बंधित अविष्कार एवं सुविधाएं इसी मजबूती का परिणाम हे। फिर भी इंसान की जिंदगी में कुछ पल ऐसे आते हे तब उसे लगता हे कि वह बहुत ही कमजोर है. उसकी जिंदगी की सब घटनाओं में किसी देवी शक्ति का हाथ हे। और फिर उसे अपनी आस्था की और विश्वास होता हे। इसी आस्था से कितने ही रिवाज़ और टोड़ाको   ने जनम लिया हे। सम्पूर्ण विश्व में ये  प्रचलित  हे। कोई भी परिस्थिती बदलने में वक्त लगता हे। तब तक वक्त कॉटन बहुत ही मुश्किल हो जाता हे। इन टोड्को के सहारे वक्त गुजारना आसान हो जाता हे। 

हमारे देश में हर धार्मिक स्थान पर कुछ परम्परा हे जिससे व्यक्ति अपने मनोकामना की पूर्ती के लिए निभाते हे। 

१ नदी पार करते समय उसमे एक सिक्का फेकना जिससे आपकी यात्रा सुरक्षित हो। 

२ पीपल या बड़  के पेड़ पर धागा बांधना। 

३ तिरुपति बालाजी के मंदिर में जाने पर  वहां महिला दर्शनार्थी भी अपना मुंडन करावा लेती हे। 

४ उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अक्षय तृतीया के दिन छिपकली का दिख जाना शुभ माना  जाता है। 

  बहुत ही विचित्र है ना? 

कैलाश पर्वत मानसरोवर की यात्रा पर जाने पर वहां रंग बिरंगी झंडियां जाती हे अपनी इच्छा पूर्ती करवाने के लिए। 


ऊज्जैन  के    महाकालेश्वर      मन्दिर       मे       त्रिशुल                     रखा        जाता    हे  मनोकामना     कि    पुर्ति        के    लिये


यह तो हमारे देश की बात हुयी 

विदेश में भी इस तरह की प्रथाएं हे 

रोम  में एक बहुत ही प्रसिद्द  फाउंटेन हे जिसका नाम ट्रेवी फाउंटेन हे। 

स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना

सम्पूर्ण विश्व से हज़ारों पर्यटक आते हे। बहुत ही सूंदर नज़ारा होता हे। 

यह स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना हे। हर दर्शक को लगता हे की काश वह यहाँ दोबारा आवे। 

ऐसी मान्यता  हे की यदि फाउंटेन की तरफ पीठ करके एक सिक्का दाहिने 

हाथ में लेकर बाएं कंधे के पीछे से इसमें फेंका जाये तो दुबारा आने का संयोग बनता  हे। 

इस वजह से फाउंटेन के पानी में बहुत सिक्के इकठे हो जाते हे जो प्रशासन को  समय समय पर वहां  से निकालने  पड़ते हे। 

२ इसी तरह पेरिस में साइन नदी के ऊपर जो पुलिया बानी हुयी हे उस पर लोहे की रेलिंग हे। 

वह रेलिंग छोटे छोटे तालों से भरी हुयी हे। 

कहा जाता हे की प्रेमी युगल वहां   पर एक ताला लगा कर चाबी नदी में फेक देते हे जिससे वो कभी जुदा  नहीं होंगे। 

जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में भी कई पुलिया की रेलिंग पर पर ताले लगे हुए हे। यूरोप में और भी बहुत जगह पर मेने यह देखे हे। 

अब तालों के  वज़न से रेलिंग झुकने लगी है। अब प्रशासन या तो रेलिंग को इन तालों सहित मजबूत बनाएगी या फिर नयी रेलिंगं और लगवायेगा। 

३ जेरूसेलम में कागज़ पर लिख कर अपने मन की मुराद पत्थर के नीचे दबी दी जाती हे। यानि की प्रार्थना की अर्जी लिख कर दी जाती हे। ऐसी  मान्यता हे कि लिख कर दी  हुयी प्रार्थना पर अवश्य निर्णय लिया जाता है। 



4 तेल अवीव में एक जगह पर सभी ज़ोडियक चिन्ह एक जगह समुद्र के किनारे  बने  हुए है। अपनी स्वयं की ज़ोडियाक चिन्ह पर हाथ रख कर समुद्र की और देखते हुए मन में अपनी मुराद  मांगी तो अवश्य पूरी होती हे ऐसी मान्यता हे। 

कैलाश पर्वत