Friday, March 2, 2018

Samay aur rishte


                                               समय और रिश्ते



         जी हाँ समय और रिश्तों का गहरा रिश्ता हे। यह वाक्य शायद पहली नज़र में कुछ अटपटा सा लगेगा लेकिन यह    स च्चाई हे। इंसान इस दुनिया में कुछ रिश्तों के साथ ही प्रवेश करता हे। जो कि खून के रिश्ते यानि कि परिवार के सदस्य एवं इन सदस्यों के मित्रगण। जैसे जैसे वह बड़ा होता हे अपने आस पास खेलने वालों से दोस्ती करता हे. पाठशाला एवं  कॉलेज में मित्र एवं गुरुजनो के सम्पर्क में आता हे। इनमे कुछ के साथ विशेष मित्रता हो जाती हे. रिश्ते बन जाते हे।
इन सभी रिश्तों को निभाना जरूरी हे. यह रिश्ते खेती की तरह होते हे। रिश्ते बनाना बीज बोने की तरह हे. लेकिन यदि इन रिश्तो की देखभाल नहीं की जाए तो रिश्ते यह मुरझा सकते हे। समय और प्रयत्न रिश्तों की खाद हे।
कहते है कि बचपन में प्यार मुफ्त में मिलता है और बड़े होने पर उसे कमाना पड़ता है। कमाने से मतलब हमें
प्रयास करना पड़ता है कि रिश्तों में मिठास बनी रहे और इसका प्यार हमें मिलता रहे।

इसके लिए हमें हमारा समय देना अत्यंत आवशयक हे। इनके सुख दुःख में शामिल होना जरूरी हे।
जरूरत के समय मदद करने से रिश्तों में मजबूती आती हे।
शिक्षा समाप्त होने के बाद अपनी आजीविका के लिए कहीं जाना पड़ता हे। नयीजगह  नए लोग। नए पड़ोसी। दायरा बढ़ता हे रिश्तों का।
इसका यह अर्थ नहीं कि पुराने संबंधों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाये। पुराने संबंधों से दूर आ जाते हे लेकिन फिर भी आज के युग में तकनिकी सहायता से दूरी पर विजय पा ली गयी हे। फ़ोन,ईमेल,एवं सोशल साइट्स के द्वारा हम संपर्क में रह सकते हे। जनम दिन ,शादी की सालगिरह आदि पर एक छोटा सा सन्देश ,या तरक्की के अवसर बधाई  का सन्देश भेज देने से रिश्ते मजबूत होते हे। और कम समय में संपर्क बना रहता हे।



ज़रा सोचिये जब हमें अपने जनम दिन पर कोई सन्देश मिलता हे तो हम अपने आप को कितना महत्वपूर्ण समझने लगते हे ,ख़ुशी होती हे।

इंटरनेट का जमाना हे। यदि किसी को सौगात भेजने का बजट हे तो उसकी भी सुविधा  हो गयी हे।
छोटा सा सन्देश ,छोटी सी सौगात ,थोड़ा सा समय और नतीजा ढेर सारे रिश्तेदार या कहे की शुभचिंतक।
जी हाँ शुभचिन्तक क्योंकि यदि आप इनकी प्रगति पर बधाई सन्देश भेजते हे तो ये भी शुभकामना करेंगे की आपके जीवन में भी ऐसे क्षण आये की ये अपनी ख़ुशी प्रकट कर सकें।
इसके अलावा यदि कोई कठिनाई में हे तो हर संभव उसकी मदद करने से भी संबंधों में प्रगाढ़ता आती हे।


आज से पचास साल पहले जिंदगी की गति इतनी तेज नहीं थी जितनी आज हे। इस धीमी गति को तेजी मिली हे फ़ोन एवं इंटरनेट से। जब २००१ में भूकंप गुजरात में आया तो उसकी सूचना भारत के दक्षिण प्रान्त के निवासियों को उनके अमेरिकाएवं विश्व के अनेक कोनो  में रहने वाले रिश्तेदारों से मिली।
और शीघ्र् ही इन प्रवासियों ने अपने लोगों को सहायता पहुँचाने के प्रयत्न आरम्भ कर दिए।
इंटरनेट की वजह से.सम्पूर्ण  विश्व करीब आ गया है। इस तेज गति की जिंदगी में हम कम  समय और कम  प्रत्यनों से रिश्तों को
मजबूत बनाने में आधुनिक तकनीक का सहारा ले सकते हे।


शारीरिक रूप में न सही लेकिन भावनात्मक तौर  हम अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों के सुख दुःख में इन सुविधाओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति का एहसास दिला सकते हे।


  तो अब उठाइये अपना फोन ,कलम या इंटरनेट और करिये  अपने रिश्तों में गरमाहट लाने का प्रयास बिना समय गंवाये।



Friday, February 9, 2018

romanchak rome

                                                     
                                                            रोमांच से भरपूर रोम


विद्यार्थी जीवन में जब स्कूल मेंभूगोल की कक्षा में  विश्व का ग्लोब देखते थे तो अचम्भा होता था की कैसे नक़्शे बनाने वाले सम्पूर्ण विश्व को एक स्फीयर में चित्रित कर देते है। फिर इतिहास में पढ़ते थे विभिन्न सभ्यताओं के बारे में जो की हजारों साल पहले विद्यमान थी। एशिया में हरप्पा एवं मोहनजोदड़ो की सभ्यता एवं  यूरोप में यूनानी सभ्यता। विभिन्न साम्राज्यों में रोमन साम्राज्य एवं इसकी विशालता के बारे में बहुत पढ़ाथा।  किसी भी विशालता का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल होता हे जब तक हम उसे देख नहीं लेते।
सौभाग्य से इस वर्ष अक्टूबर में रोम शहर जो की इटली में हे घूमने का अवसर मिला।हमने ब्रुसेल्स एयरपोर्ट से जो की बेल्जियम में हे रोम की फ्लाइट ली और डेढ़ घंटे में रोम
रोमन साम्राज्य की भव्यता  का अनुमान भी रोम देखने के बाद ही हुआ। आज से हजारों वर्ष पहले जो इम्मारते बनाई गयी उनकी स्थापत्य कला देख कर बहुत ही अचम्भा होता हे। is
इस शहर की स्थापना.  ईसा पूर्व ८०० वर्ष पुरानी बताई जाती हे। कहा जाता हे की पाश्चात्य सभ्यता का जनम यहीं
पर हुआ था।
वैसे तो रोम में अनगिनत दर्शनीय जगह हे। इन सभी को देखना तीन दिन में संभव नहीं था। फिर भी जिन जगह को देखा
देखते ही रह गयी।

फोरम जो कि किसी वक्त बहुत सारी गतिविधयों का केंद्र था आज कुछ मूर्तियों एवं उस समय के इमारतों के खंडहर के रूप में आज मौजूद हे।





यह बाज़ार ,सांस्कृतिक एवं राजनितिक गतिवधियों का स्थान था।हर

                                                        रोम शहर  का फोरम     

       
                                      

यह पर ही जुलुस निकलना,खेल कूद प्रतियोगिता एवं न्यायिक प्रक्रिया होती थी। यह विश्व भर में सबसे अधिक
गतिविधि वाला केंद्र था।
रोम शहर कला एवं स्थापत्य का भण्डार सा हे. .छार सड़क या गली बहुत ही बड़े चौक में मिलती हे और वहां बड़े ऊंचे खम्भे नजर आते हे जिनके ऊपर नक्काशी  द्वारा विभिन्न भाषाओँ में कुछ लिखा हुआ होगा या फिर आकृतियों द्वारा विचार प्रकट किये हुए हे।


                                             
     फोरम में खड़ा स्तम्भ  (नक्काशी वाला खम्भा )
                                                       




                                                                










                                                        स्तम्भ पर की हुयी नक्काशी

 इन स्तम्भ की ऊंचाई को देख कर समझ में ही नै आता की कलाकार ने कैसे इतनी ऊंचाई पर अपनी कला बिखेरी होगी ?
वैटिकन म्यूजियम जो की वैटिकन सिटी के अंदर हे विश्व के उल्लेखनीय म्यूजियम में से एक हे और यहाँ आने वाले     पर्यटकों की संख्या भी अनगिनत हे।
यहाँ पर ७०,००० से भी अधिक कलाकृतियों का संग्रह हे जिसमे से २०,००० के करीब पर्यटकों के लिए रखी  गयी हे।
इनमे पोप द्वारा एकत्रित किये गए भित्ति चित्र एवं उच्च कोटि की स्थापत्य कला की मूर्तियां हे। माईकल ऐंजेलो जो की   चित्रकला एवं स्थापत्यकला दोनों में निपुण था के द्वारा बनाये गए कलाकृति का संग्रह हे.
ट्रेवी फाउंटेन जो की १८वी शताब्दी में  रोम के ट्रेवी तहसील में बनवाया गया था.पत्थऱ से तराशा गए यह फवारा देखते हे तो लगता हे की से निहारते ही रहे। रात्रि के समय तो इसमें और भी निखार आ जाता हे। यहाँ पर बहुत हॉलीवूड की फिल्मो की शूटिंग भी हो चुकी हे. मान्यता हे की यदि इसमें एक सिक्का फेका जाने पर यहाँ दुबारा आने का संयोग बनता हे. इस वजह से हर पर्यटक यहाँ सिक्का फेकते रहते हे और प्रशासन इन सिक्को को यहाँ से निकालते  हे।
           


                                                   
          

पूरे विश्व में प्रसिद्ध पिज़्ज़ा एवम पास्ता इटली की ही देन है। और इसी कारण रोम के हर गली कूचे में पिज़्ज़ा एवम पास्ता की रेस्त्रां   मिल जायेंगे। यहां पर शाकाहारी  पर्यटकों को अधिक  दिक्कत नहीं होती हे।
हर सड़क कुछ दूरी के बाद एक विशाल चौक में मिल जाती हे। इस तरह पूरे शहर में अनगिनत चौक हे
चौक के बीच में  या तो विशाल स्तम्भ या सूंदर कलाकृतियों से सुसज्जित फव्वारा है जो की जगह की खूबसूरती को निखारता है।
अनगिनत म्यूजियम भी हे यहाँ पर लेकिंन सभी को देखना कम समय में सम्भव नहीं हे।
यहाँ पर एक स्थान है जिसे स्पेनिश स्टेप्स कहते है। हर समय पर्याटकों की भीड़ लगी रहती है। बहुत ही सुन्दर
संरचना है।



Wednesday, September 20, 2017

Chaumonix alps parvat ke beech me

इंसान का मस्तिष्क जिज्ञासा से परिपूर्ण होता हे। इसी की पूर्ती के लिए जहाँ तक होता हे वह अपनी हैसियत के अनुसार दर्शनाय स्थानों का भ्रमण करता हे। मुझे भी इस बार शामोनी जाने का अवसर मिला जो कीआल्प्स पर्वत श्रेणी से घिरा हुआ हे। प्राथमिक कक्षाओं में भूगोल में पढ़ा था की आल्प्स पर्वत श्रेणी यूरोप में हे जहाँ के आसपास का इलाका बहुत ही सूंदर हे विशेषकर गर्मी के मौसम में इसके सौंदर्य में निखार आ जाता हे। जब यहाँ जाने का अवसर मिला तो ज़ाहिर हेकि मन में उत्सुकता जगी। हमने ब्रूसेल एयरपोर्ट से जिनेवा की फ्लाइट ली। जिनेवा स्विट्ज़रलैंड में हे ब्रूसेल बेल्जियम में हे। और शामोनी फ्रान्स में हे.    वैसे  जगह तीन देशों यानि की फ्रांस,इटली एवं स्विट्ज़रलैंड के जंक्शन पर स्थित हे।
जिनेवा एयरपोर्ट से कार से हम सवा घंटे का सफर कर के शामोनी पहुंचे यह एक घंटे का सफर बहुत ही सूंदर वादियों का था. सड़क के एक और ाबरफ से ढके हुए आल्प्स के पहाड़ एवं दूसरी और सूंदर रहवासी इलाका.
अप्रेल का महीना था। गर्मी के मौसम की शुरुआत थी। अतः बर्फ और हरियाली दोनों विद्यमान थे. छोटे छोटे टाउनशिप
एकदम प्रकृति के करीब करीने से सजे हुए. .यह तय कर पाना मुश्किल था कि इन दृश्यों को केमेरे में कैद करूँ या मस्तिष्क की हार्ड डिस्क में। इस सफर को तय करके जब हम शमोनी पहुंचे तो अपने आप को चरों और से आल्प्स
श्रेणी से घिरा पाया ३६० डिग्री से घूम कर देखा तो भी आल्प्स ही नज़र आये.
हमने एक अपार्टमेंट बुक कर लिया था। इसमें सभी सुविधा थी. अपार्टमेंट की बालकनी से
                                                                               


                                                           अपार्टमेंट की बालकनी से दृश्य

से जो दृश्य नज़र आया वह इस चित्र में हे। पर्वत पर चरों तरफ केबल कार का आवागमन एवं बेलून उड़ाते हुए।
सम्पूर्ण इलाका सैलानियों से आबाद। लगा की शायद गर्मी के मौसम में सैलानी अधिक हे।
लेकिन यह जान कर आश्चर्य हुआ की यहां पर ठण्ड के मौसम में भी टूरिस्ट आते रहते हे। सर्दी में बर्फ पर स्कीइंग करने वालों की तादाद अधिक होती हे। यहाँ के निवासियों की आजीविका सैलानियों के सहारे चलाती हे.
रेस्टॉरेंट्स ,दुकाने ,और बर्फ में होने वाले स्पोर्ट्स के उपकरणों की बिक्री एवं मरम्मत आदि से।
पर्वतारोहण,और स्कीइंग करने वाले मुख्यतया इस स्थान को पसंद करते हे.
अनगिनत होटल्स एवं अपार्टमेंट्स बने हुए हे यात्रियों के ठहरने के लिए। यहाँ पर जी ग्लेशियर हे उसे मोंट दे ब्लैंक के नाम से जाना जाता हे.यह यूरोप की सबसे ऊंची पहाड़ी पर हे करीब ४५००फ़ीट से अधिक.शामोनी से ग्लेशियर तक पहुँचाने के लिए एक ट्रैन से जाना पड़ता हे। शमोनी विलेज से करीब दो किलोमीटर की ऊंचाई पर हे यह। एक लाल रंग की बहुत ही सूंदर ट्रैन के द्वारा हमने यह सफर तय किया। दो किलोमीटर की यात्रा २५ मिनट में तय हुयी। वहां पहुँचाने पर  हम दुनिया से सातवे आसमान पर हे। ट्रैन स्टेशन से ग्लेशियर तक पहुँचने के लिए केबलकार के द्वारा   जाना पड़ता हे।


बादल बर्फ से अठखेलियां करते हुऐ