Monday, November 16, 2009

1 राजाजी री कांई बात गड़ रा वे तांई थोडा  !  

गाँव में राजाजी री सवारी निकलती ही | सारा लोग जुलसो देख रया हा | गरीब ने भागवान हेंग हा |  बाजे गाजे रे साथै जुलुस निकलतो हो |  दो जणा कने कने ऊबा हा,  उने मोंऊ एक बौत गरीब ने दूजोड़ो खावे कमावे जेडों गृहस्ती  वालो |  बाजे गाजे रे बाद में हाथी आयो उने माते  एक सिंहासन और उने माते राजाजी बेठोड़ा हा, गृहस्ती आदमी राजाजी  ने देख ने बोलियो के "अरे देख! राजाजी रे सिंहासन रा पाया तो चांदी रा हे!"   गरीब आदमी जीको कने ऊबो हो वो झट जबाब दियो के "राजाजी री कांई बात, गड़ रा वे तांई थोडा!" 

बिचारे गरीब आदमी ने कई ठा के चांदी कई काम आवे उने तो इती ठा हे के गुड मीठो वे ने बोत मूंगो वै !

जीने मारवाड़ी पडण में तकलीफ वे वोंरे वास्ते 
गाँव में राजाजी की सवारी निकल रही थी| सभी जनता इकठ्ठी हो गयी थी| ढोल नगाड़े बाजे गाजे जा रहे थे | फिर एक हाथी के हौदे पर सिंहासन और उस पर राजा बैठा हुआ था | इस तरह के जुलुस गाँव में कभी कभार ही देखने को मिलते थे गरीब अमीर सभी खड़े थे | दो व्यक्ति जिसमे से एक मध्यम वर्गीय और दूसरा बहुत ही गरीब पास पास खड़े जुलुस देख रहे थे  | मध्यम वर्गीय ने गरीब से कहा, "देखो देखो राजा के  सिंहासन के पाए चांदी के बने हुए हे", सुनते ही तुरंत गरीब व्यक्ति बोला, "राजाजी री कांई बात गड़ रा व्हे तांई थोडा" (राजा जी की क्या बात, अगर पाए गुड के भी हों तो भी काम हैं!) उस व्यक्ति के लिए गुड अधिक उपयोगी है और महंगा है, गुड से वह परिचित है! उसको न तो  चांदी की कीमत पता है और न ही उसका उपयोग!


2 बहरूपियों 
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एक बार एक कस्बे में एक सरकारी अफसर और उनो एक  बाबू महकमे रो दोरो करण ने गया खेती बाड़ी रो महकमों हो खेत रा बीज ने खाद रो मुआयनो करणो हो थोड़ी फाइलों भी देखणी ही सब मुआयानो कर ने साब ऑफिस में चाय पीवता हा जरे उन बाबू रो एक  साथी  बाबू ऊ मिलने आयो बाबू उने आपरे साब ऊ भी मिल्वायो साब पूछियो के तू कई काम करे जरे वो बोलियो के में
"बहरूपियों  हूँ साब पूछियो के" कई मतलब ?"
" में बहरूपिये रा खेल भी देखाया करूँ आ कला मने आवे हे "
साब बोलिया केआ तो कोइ कला कोनी 
खेर  थने फुरसत वे जरे मने भी ओ खेल देखाइजे  
वो केयो की जरूर  देखाऊंला  साब 
"अच्छा साब, राम राम "
 साब रे रुकनों इंतजाम खेत रे कने इज एक मकान में कर दीयो  हो  साब री हाजरी रे वास्ते एक चपरासी भी दे दियो  उनो नाम हो शेरा राम सर्दी रात रा जोर री ही साब ने बाबू  दोई  जणा उण एक कमरे  में सिरक ओदियोड़ा   सूता हा 
दिनूके  साणी साब री आँख खुली तो देखियो के एक रींछ कमरे रे मोने दब दब करतो  घुस रयो  हे साब री तो आवाज  इज बंद रींछ धीरे धीरे चालतो आगे आ रयो हो 
अबे कई करे जोर ऊँ हाको करियो शेराराम! शेराराम !
कने सूतोड़े बाबू ने उटानियो बाबू भी घबरायो अबे इण रींछ सूं कीकर बचों भागो तो कीकर ओ तो आड़े रे कने ऊबो हे हे भगवान् रात रा होचियो हो क़ि चपरासी तो चोखो दियो हे शेराराम नाम उइज हिम्मत रेवे  पर ओ बहर कटे बलीयो हे बाबू भी हेला पाडिया शेरा राम !
अटी उटी देखियो जरे कने एक मशीन  पडी ही जीकी खेत री माटी खोदने काम आया करे वा मशीन बोत भारी 
 ही साब तो उंचा ने वा मशीन रींछ रे कानी मारी  बापड़ो
रींछ   तो जोन बचा ने बारे भागियो ने   साब रे जीव में जीव आयो अटी कानी शेराराम दोड्तो दोड्तो आयो 
अरे साब कई हुयो ?साब शेराराम ने खूब हाका करिया
के तू आडो खुल्लो छोड़ ने कीकर गयो इण जंगल में 
जठे रींछ ने बघेरा फिरे हे शेराराम क़ि बोले जीते तो  वो बहरूपियों मुंडे मातुं कपड़ो उतार ने मोने आयो ने बोलियो" राम राम सा केडी रेई"
 अबे साब ने समझ में आयी के ओ तो बहरूपियों रींछ बण ने आयो हो 
 साब बोलिया के आज तो तूं मने मार काडतो रे 
बहरूपियों    बोलियो के बापजी में भागतो नहीं तो आज  आप मने मशीन ऊँ मार काडता
अरे भाई मान  गया थने ने थारी कला ने 
साब राजी हु ने उने इनाम दियो 
किस्सों एक दम हाचो हे हो !


3 बोणियो री पेठ


एक वार एक जाणो बोणियो री दुकान माथे गयो | बोणीये ने एक टको दियो ने केयो के एक टके रो गुड दे |  बात बोत पुराणी हे हो | अबे न तो टका हे न वे भाव | बोणियो टको ताकड़ी में नोंक ने गुड तोल ने दे दियो गुड लेने वो घरे गयो ने देखियो के टको तो गुड रे साथै चिपक ने पाछो आय गयो हे |पर कई करे बोणियो री पेठ एडी ज हे | बोलियो के तोंयी बोणीये रे बेटो कीं तो कमायो इज वेला |अबे बिचारो गुड रे साथै पैसा भी पाछा दे दिया घाटे में गयो तोंयी ||

 

1 comment:

Suman said...

reading marwari is great fun!!!