- पक्षी पलायन
प्रत्येक प्राणी को ईश्वर ने स्वयं को सुरक्षित रखने की क्षमता प्रदान की है। इसी कारण से यह सृष्टि चल रही हे। जीव मात्र कहीं भी खतरे की आशंका होते ही वहां से पलायन का प्रयास करते है। यह खतरा मौसम,या शत्रु का होता हे. इस पलायन की दौड़ में सबसे तेज बाजी मर लेते हे पक्षी। प्रकृति ने उन्हें पंख जो प्रदान किये हे। सम्पूर्ण विश्व में मौसम बदलता रहता हे।प्रतिकूल मौसम की मार से बचने के लिए मानव ने अपनी क्षमता के हिसाब से सुविधाओं की व्यवस्था की हे। ताकि उन्हें पलायन नहीं करना पड़े। लेकिन यह पक्षी सिर्फ अपने पंखों के सहारे सब तरह की मुसीबतों का सामना करते हे इसका इतना बढ़िया उदाहरण हम भारत के कुछ विशिष्ट स्थानों पर सर्दी के मौसम में दूर दराज़ से आये हुए पक्षियों को देख कर लगाया जा सकता हे। गुजरात के कच्छ जिले मेंभी ये पक्षी ठण्ड की मौसम में आते हे। फ्लेमिंगो कहलाने वाले ये पक्षी वहां कुछ महीने ठहराते हे और अपने अंडे दे कर उनके उड़ने तक रुकते हे अपने साथ अपने बच्चो को लेकर अपने देश चले जाते हे.इनके पंखों का रंग लाल होता हे इस वजह से इन्हे अग्नि पंख के नाम ;से भी जाना जाता हे। ;इसी तरहराजस्थान के उत्तर पश्चिमी इलाके में एक जगह हे खीचन। यह जोधपुर शहर से ६० किलोमीटर की दूरी पर हे। यहाँ पर प्रति वर्ष सितंबमाह से इन अतिथियों का आना आरम्भ हो जाता हे. यह पक्षी सुदूर साइबेरिया से आते हे।यह साइबेरियन क्रेन्स की प्रजाति हे। ये पक्षी हलके सलेटी रंग के यानि जिसे हम ग्रे रंग कहते है के होते हे। प्रति वर्ष ८००० से १०००० तक पन्छी यहाँ आते हे। वहां पर तापमान बहुत कम हो जाता हे। बर्फ़ ज़माने लगती हे। तब ये पक्षी वहां से पलायन करते हे। पृथ्वी के उस हिस्से जहाँ कम सर्दी होती हे उस तरफ उड़ना आरम्भ करते हे।इंसानो के लिए सरहदे
बनायीगयी हे। लेकिन इन पक्षियों के लिए किसी भी वीसा की जरूरत नहीं हे। जहाँ सुविधा उपलब्ध हुयीवही बसेरा बना लेते हे खीचन में जो पक्षी आते हे उन्हें स्थानीय भाषा में कुरजां के नाम से जाना जाता हे
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यहाँ के निवासीवर्षा ऋतू के समाप्त होतेही ;इन पक्षियों के आने की प्रतीक्षा करने लगते हे। यहाँ के लोक गीतों में भी इनपंछियों का वर्णन मिलता हे। ये पक्षी एक विशेष प्रकार की घास जो यहाँ पर होती हे उसे कहते हे कुछ छोटे जीव जंतु भी इनका भोजन होता हे। ये पक्षी यहाँ पर सदियों में अतिथि की तरह आते रहे हे। वैसे भी मारवाड़ की संस्कृति अतिथि देवो भव का प्रतीक हे. इनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक समिति का गठन किया हुआ हे। यह समिति इन पक्षियोंको निर्धारित समय पर दाना खिलाने की व्यवस्था कराती हे हमने जब इस स्थान को देखा तो एक विचत्र तरह का सामंजस्य यहाँ के निवासियों इन पक्षियों में पाया। हमें बताया गया की प्रातः ९ से ११ बजे तक इनको दाना चुगने केस्थान पर देख सकते हे। उसके बाद यहाँ से उड़ कर ये कसबे के बाहर बने सरोवर पर पानी पीने के लिए पहुँच जायेंगे।इनकीसमयकी पाबन्दी देख कर बहुत ही आश्चर्य हुआ। यहाँ हमारी मुलाकात श्री सेवाराम माली से हुई .ये इन पक्षियों की देखभाल में विशेष रूचि रखते है। इन्होने एक समिति गठन कर के इनके दाना पानी एवं सुरक्षा की देख रेख करते है।
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सरोवर पर पानी पीते हुए दिन केग्यारहबजे
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