Friday, June 3, 2022

                      आस्था या विश्वास 

मानव बहुत ही मजबूत ह्रदय एवं मजबूत इरादों वाला प्राणी हे। इस मजबूती के बूते पर ही विश्व में इतनी प्रगति हुयी हे 

विज्ञान से सम्बंधित अविष्कार एवं सुविधाएं इसी मजबूती का परिणाम हे। फिर भी इंसान की जिंदगी में कुछ पल ऐसे आते हे तब उसे लगता हे कि वह बहुत ही कमजोर है. उसकी जिंदगी की सब घटनाओं में किसी देवी शक्ति का हाथ हे। और फिर उसे अपनी आस्था की और विश्वास होता हे। इसी आस्था से कितने ही रिवाज़ और टोड़ाको   ने जनम लिया हे। सम्पूर्ण विश्व में ये  प्रचलित  हे। कोई भी परिस्थिती बदलने में वक्त लगता हे। तब तक वक्त कॉटन बहुत ही मुश्किल हो जाता हे। इन टोड्को के सहारे वक्त गुजारना आसान हो जाता हे। 

हमारे देश में हर धार्मिक स्थान पर कुछ परम्परा हे जिससे व्यक्ति अपने मनोकामना की पूर्ती के लिए निभाते हे। 

१ नदी पार करते समय उसमे एक सिक्का फेकना जिससे आपकी यात्रा सुरक्षित हो। 

२ पीपल या बड़  के पेड़ पर धागा बांधना। 

३ तिरुपति बालाजी के मंदिर में जाने पर  वहां महिला दर्शनार्थी भी अपना मुंडन करावा लेती हे। 

४ उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अक्षय तृतीया के दिन छिपकली का दिख जाना शुभ माना  जाता है। 

  बहुत ही विचित्र है ना? 

कैलाश पर्वत मानसरोवर की यात्रा पर जाने पर वहां रंग बिरंगी झंडियां जाती हे अपनी इच्छा पूर्ती करवाने के लिए। 


ऊज्जैन  के    महाकालेश्वर      मन्दिर       मे       त्रिशुल                     रखा        जाता    हे  मनोकामना     कि    पुर्ति        के    लिये


यह तो हमारे देश की बात हुयी 

विदेश में भी इस तरह की प्रथाएं हे 

रोम  में एक बहुत ही प्रसिद्द  फाउंटेन हे जिसका नाम ट्रेवी फाउंटेन हे। 

स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना

सम्पूर्ण विश्व से हज़ारों पर्यटक आते हे। बहुत ही सूंदर नज़ारा होता हे। 

यह स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना हे। हर दर्शक को लगता हे की काश वह यहाँ दोबारा आवे। 

ऐसी मान्यता  हे की यदि फाउंटेन की तरफ पीठ करके एक सिक्का दाहिने 

हाथ में लेकर बाएं कंधे के पीछे से इसमें फेंका जाये तो दुबारा आने का संयोग बनता  हे। 

इस वजह से फाउंटेन के पानी में बहुत सिक्के इकठे हो जाते हे जो प्रशासन को  समय समय पर वहां  से निकालने  पड़ते हे। 

२ इसी तरह पेरिस में साइन नदी के ऊपर जो पुलिया बानी हुयी हे उस पर लोहे की रेलिंग हे। 

वह रेलिंग छोटे छोटे तालों से भरी हुयी हे। 

कहा जाता हे की प्रेमी युगल वहां   पर एक ताला लगा कर चाबी नदी में फेक देते हे जिससे वो कभी जुदा  नहीं होंगे। 

जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में भी कई पुलिया की रेलिंग पर पर ताले लगे हुए हे। यूरोप में और भी बहुत जगह पर मेने यह देखे हे। 

अब तालों के  वज़न से रेलिंग झुकने लगी है। अब प्रशासन या तो रेलिंग को इन तालों सहित मजबूत बनाएगी या फिर नयी रेलिंगं और लगवायेगा। 

३ जेरूसेलम में कागज़ पर लिख कर अपने मन की मुराद पत्थर के नीचे दबी दी जाती हे। यानि की प्रार्थना की अर्जी लिख कर दी जाती हे। ऐसी  मान्यता हे कि लिख कर दी  हुयी प्रार्थना पर अवश्य निर्णय लिया जाता है। 



4 तेल अवीव में एक जगह पर सभी ज़ोडियक चिन्ह एक जगह समुद्र के किनारे  बने  हुए है। अपनी स्वयं की ज़ोडियाक चिन्ह पर हाथ रख कर समुद्र की और देखते हुए मन में अपनी मुराद  मांगी तो अवश्य पूरी होती हे ऐसी मान्यता हे। 

कैलाश पर्वत 



Monday, June 7, 2021

 बिना अंडे की केक 


                           



वैसे तो बेकिंग में अंडे का प्रयोग बहुतायत से होता हे लेकिन जो लोग अंडा नहीं पसंद करते हे  हे उनके लिए बिना अंडे के भी बेकिंग की जा सकती हे। अंडे का रिप्लेसमेंट बहुत तरहतरह से किया जा सकता हे। जैसे की अधिक मात्रा में माखन ,बेकिंग पाउडर, दही ,केला इत्यादि. .    

बनाते हे बिना अंडे की केक 

सामग्री 

दो कप मैदा 

१ १/४  कप पीसी हुयी चीनी 

३/४ कप दही 

१/३ कप माखन 

१ १/४ कप बेकिंग पाउडर 

J३/४ कप दूध 

१/४ कप मलाई 

 २ टेबल स्पून मिल्क पाउडर 

२ टिया स्पून वनीला एसेंस 

३ टेबल स्पून टूटी फ्रूटी 

३ टेबल स्पून काजू और बादाम के टुकड़े 

ओवन को १८० डिग्री सेल्सियस पर १० मिनट के लिए प्रे हीट करने के लिए रख दे। 

एक बर्तन में मैदा और बेकिंग पाउडर मिला कर छान ले। अब इसमें मिल्क पाउडर अच्छे से मिला दे। 

दूसरे बर्तन में माखन और चीनी मिला कर अच्छे से फेट ले। अब इसमें मलाई और दही मिला दे। १/२ कप दूध मिला दे और अच्छे से मिक्स कर ले। 

अब मैदा मिलाये और एक ही दिशा में घूमते हुए मिक्स करे। अगर जरूरत हो तो बचा हुआ दूध मिला दे। यह मिश्रण 

चम्मच से डालने पर धीरे धीरे बर्तन में गिर जाये जैसा होना चाहिए इसे पौरिंग कंसिस्टेंसी कहते हे। 

आखिर में इसमें वनीला एसेंस,टूटी फ्रूटी और कहु बादाम के टुकड़े दाल कर हलके हाथ से मिक्स करे। 

एक केक तीन को बटर से चिकना करे और इसमें चुटकी भर सूख मैदा छिड़क दे। 

मिश्रण को इसमें दाल कर बेक  होने के लिए र४० मिट के लिए रख दे। ४० मिनट बाद ट्रे के बीच में एक चाकू दाल कर चेक करे। यदि चाकू एकदम सूखा निकलता हे तो कक तैयार हे। यदि चाकू साफ़ नहीं हे तो ५ मिनट और बेक कर ले। 

Tips 

ओवन को प्रे हीट अवश्य करे 

मैदा को मिश्रण में मिलएते समय बहुत अधिक न हिलाये। 

सभी  सामग्री कमरे के तापमान पर होनी चाहिए। इसके लिए मिल्क,दही,माखन इत्यादि रेफ्रिजरेटर से पहले से निकल कर रख ले। 




Monday, May 24, 2021

Nankhatai

                                                                                                                             नानखताई                                             

                                               


बहुत ही सरल तरीके से बनाये हुए बिस्किट हे ये इन्हें नानखटाई के नाम से जाना जाता है । गुजरात के सूरत शहर की नानखताई बहुत ही प्रसिद्ध हे. 

कहा जाता हे कि सत्रहवीं शताब्दी में किसी डच दम्पति ने सूरत में  इसकी शुरुआत की थी। 
लेकिन वो इसे अण्डे के साथ  बनाते थे इसलिए गुजरात की जनता इसे पसंद  नही करती थी। 
जब डच वहा से गए तो अपनी  बेकरी  एक पारसी व्यक्ति को दे कर गए थे। उसने इस  में से अण्डा हटा कर बनाना आरम्भ किया और  फिर तो यह नानखताई पूरे भारत में लोकप्रिय हो गयी। 
यह बिस्किट मुँह में रखते ही घुल जाते हे इतने नरम और स्वादिष्ट बनते  हे 
सब सामग्री हमारी रसोई में हर समय उपलब्ध रहती हे। 

इसे बनाने के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होगी 
मैदा 
शक्कर 
घी 
इलायची पाउडर 
                              
बेकिंग पाउडर १ चम्मच 
पिस्ता या बादाम की कतरन 
             विधि
एक बर्तन में  घी और चीनी  को मिला कर एक व्हिस्कर से फेटिये। उसके बाद में इसमें मैदा और इलायची 
     पाउडर और बेकिंग  पाउडर मिला  दीजिये। 
जब सभी सामग्री अच्छे से मिळाली जाये  अपनी  पसंद के  पड़े  लीजिये। 

फिर ओवन में १७० डिग्री सेंटीग्रेड पर १५ मिनट  लिए बेक  कर लीजिये। 
अब ठंडा होने पर ट्रे में से निकालिये। गरम को निकालेंगे तो  टूटने की संभावना  रहती है।